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उस पंख की पहचान नहीं, जब चाहत आसमान छूने की ना हो

उस पंख की पहचान नहीं, 
जब चाहत आसमान छूने की ना हो।

तेज वो रफ़्तार नहीं,
जब चाहत मंजिल पाने की ना हो। 

तकदीर को क्यों दोष देता है तू इंसान,
तकदीर को क्यों दोष देता है तू इंसान,

टूटे पर से भी उड़ता है वो,
जब जिद हारने की ना हो।

©Rudeb Gayen
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rudebgayen9713

Rudeb Gayen

New Creator

#parindey जिंदगी… #Encouragement #Dreams #शायरी

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