खुद को स्वार लेते है छूप कर कभी कभी गमों को बिसार देते है मिलकर कभी कभी अक्सर मुस्कुराहटों की स्याही मे डुबो कर हम दर्द उतार देते है लिख कर कभी कभी माहिर शायर सजावट दर्द की लफ्जों से