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क्यों आज फिर सपने चूर हो गए, आंखों से आंसू निकलने

क्यों आज फिर सपने चूर हो गए, आंखों से आंसू निकलने के लिए मजबूर हो गए ,,,,
जो सपनों का घर बनाया वह टूट गया,,
अब पुन: बनाने पर मजबूर हो गया,
तब कुछ अपनों ने पुन: उत्साह बनाया,,,
 कोशिश करने बालों की हार नहीं होती पुनः बताया,,,,
एक दिन बना ही लेंगे अपना आशियाना,,
 मगर फिर से मजबूती से तैयार करना  होगा,,,
मुझे पुनः मजबूती का आशियाना,, 
बनाना होगा ,
पुनः अपने सपनों पूरा करना होगा,,

 (मीनाक्षी टंण्डन) सपनों का आशियाना
क्यों आज फिर सपने चूर हो गए, आंखों से आंसू निकलने के लिए मजबूर हो गए ,,,,
जो सपनों का घर बनाया वह टूट गया,,
अब पुन: बनाने पर मजबूर हो गया,
तब कुछ अपनों ने पुन: उत्साह बनाया,,,
 कोशिश करने बालों की हार नहीं होती पुनः बताया,,,,
एक दिन बना ही लेंगे अपना आशियाना,,
 मगर फिर से मजबूती से तैयार करना  होगा,,,
मुझे पुनः मजबूती का आशियाना,, 
बनाना होगा ,
पुनः अपने सपनों पूरा करना होगा,,

 (मीनाक्षी टंण्डन) सपनों का आशियाना