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तुम्हारे स्पर्श से मै मुकम्ल हो गई दो जिस्म एक जान

तुम्हारे स्पर्श से मै मुकम्ल हो गई
दो जिस्म एक जान हो गई
तुम्हारी संसो की खुशबू मेरी
संसो में बस गई  जुल्फें लेहरा
के तुमको अपना दीवाना बना गई
जाओ तुम कही भी मेंरी मोहब्बत
खिंच लयेगी छूड़ना चाहो लाख 
दामन फिर भी नजरे इनायत
मुझी पर होगी है कुछ ऐसा
मेरे खुदा का कमर आशिकी
इनायत मुझी पर होगी

©Babita Bucha
  #स्पर्श