रब ! इतना संकोची क्यों बनाया रत्न मेरे हाथ से जाते रहें मैं देखती रह गई इतना अबूझ क्यों बनाया अवसर हाथ से जाता रहा मैं अनजान बनी रही हकीकत कुछ और थी मैं कल्पना में जीती रही #secondquote mistakes of my life due to overthinking