बद्दुआएं ही मिली हर जगह, दुआ किसी ने दी ही नही हमें। ठोकरे खाके गिरते रहे, किसी ने संभाला ही नहीं हमें, बेबस,लचारियां, सब हिस्से में थी हमारे, खुशकिस्मती तो देखी ही नही हमने। मेरे बोझ से बड़ा बोझ था मजबूरियों का, मज़दूरियां करने को मजबूर थे हम। जिन्हें खुदके कल का पता नहीं, वो देश का कल कैसे बनेंगे।  happy republic day #deshkakal