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खुदा कर रहम वरना, तेरी कयामत को बेनूर समझेंगे । गर

खुदा कर रहम वरना, तेरी कयामत को बेनूर समझेंगे ।
गर हुआ कुछ हमें तो, तुझे दिलों से दूर समझेंगे ।।

फितरत के आशियाने में, रहमतों का कसूर क्या ,,
तेरी रहमतों को किसी क्षण के लिए मजबूर समझेंगे ।

कुछ हुई खताह हमसे तो माफ करना मेरे खुदा,
  गर जिंदा रहे तो, खुद को बेकसूर समझेंगे ।।
                               ........ SOURABH KEWAT सौरभ बेखबर शायरी
खुदा कर रहम वरना, तेरी कयामत को बेनूर समझेंगे ।
गर हुआ कुछ हमें तो, तुझे दिलों से दूर समझेंगे ।।

फितरत के आशियाने में, रहमतों का कसूर क्या ,,
तेरी रहमतों को किसी क्षण के लिए मजबूर समझेंगे ।

कुछ हुई खताह हमसे तो माफ करना मेरे खुदा,
  गर जिंदा रहे तो, खुद को बेकसूर समझेंगे ।।
                               ........ SOURABH KEWAT सौरभ बेखबर शायरी