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बचपन में नाप लेते थे हम, भरी दोपहरी में भी गाँव की

बचपन में नाप लेते थे हम,
भरी दोपहरी में भी गाँव की सारी गालियां...
जब से तापमान समझ में आया है,
पाँव जलने लगे हैं... तापमान
बचपन में नाप लेते थे हम,
भरी दोपहरी में भी गाँव की सारी गालियां...
जब से तापमान समझ में आया है,
पाँव जलने लगे हैं... तापमान
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