कितने ही चहरे है तेरे कभी पुरातन तो कभी नाविका हो तुम देश ही नहीं बल्कि इस दुनिया को चलाने वाली चालिका हो तुम कुछ हम जैसे कवि सलाम करते हैं देश की गरिमा को कुछ हम जैसे तुच्छ कवि लिखतें हैं कि आज भी बालिका हो तुम ©Neeraj Vats #राष्ट्रीयबालिकादिवस #NationalGirlChildDay