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कितने ही चहरे है तेरे कभी पुरातन तो कभी नाविका हो

कितने ही चहरे है तेरे कभी पुरातन तो कभी नाविका हो तुम

देश ही नहीं बल्कि इस दुनिया को चलाने वाली चालिका हो तुम

कुछ हम जैसे कवि सलाम करते हैं देश की गरिमा को

कुछ हम जैसे तुच्छ कवि लिखतें हैं कि आज भी बालिका हो तुम

©Neeraj Vats #राष्ट्रीयबालिकादिवस

#NationalGirlChildDay
कितने ही चहरे है तेरे कभी पुरातन तो कभी नाविका हो तुम

देश ही नहीं बल्कि इस दुनिया को चलाने वाली चालिका हो तुम

कुछ हम जैसे कवि सलाम करते हैं देश की गरिमा को

कुछ हम जैसे तुच्छ कवि लिखतें हैं कि आज भी बालिका हो तुम

©Neeraj Vats #राष्ट्रीयबालिकादिवस

#NationalGirlChildDay
neerajvats2014

Neeraj Vats

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