ज़िंदगी के भाग-दौर में कितने दोस्त खोते गये। एक समय था,जब साथ जीने और मरने के कसमें खाये करते थे। आज बस दौलत और पद देखने के बाद ही बोलना पसन्द करते हैं। जीवन का सत्य है।