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कभी कभी सब्द नीकलते हे वो खूदके भीतरसे ही नीकलते ह

कभी कभी सब्द नीकलते हे वो खूदके भीतरसे ही नीकलते हे
ईन सब्द को खूद खूदा सूघ्घात्मा भीतरमे रहकर
बहार की ओर
सब्द अक्सर ब्रम कहलाते हे
खूद तो नीमीत हे
करता अ करता ईस्वर ही हे #WorldOzoneDay
कभी कभी सब्द नीकलते हे वो खूदके भीतरसे ही नीकलते हे
ईन सब्द को खूद खूदा सूघ्घात्मा भीतरमे रहकर
बहार की ओर
सब्द अक्सर ब्रम कहलाते हे
खूद तो नीमीत हे
करता अ करता ईस्वर ही हे #WorldOzoneDay