कभी कभी सब्द नीकलते हे वो खूदके भीतरसे ही नीकलते हे ईन सब्द को खूद खूदा सूघ्घात्मा भीतरमे रहकर बहार की ओर सब्द अक्सर ब्रम कहलाते हे खूद तो नीमीत हे करता अ करता ईस्वर ही हे #WorldOzoneDay