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कोई सत्ता की हामी भरता है, कोई विपक्ष की बोली बोलत

कोई सत्ता की हामी भरता है,
कोई विपक्ष की बोली बोलता है.....
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ आज 
मदारी वाले बंदरों का नाच सा लगता है......

जिस कलम की ताकत से ब्रह्मांड तक डोला करता था,
जिस कलम की ताकत में आवाम का विश्वास होता था,
जिस कलम की ताकत से सत्ता तक बदले जाते थें,
जिस कलम की शान को दिनकर तलवारों से ऊपर तौलते थें,

बिक गए सब आदर्श आज,बिक गए  ईमान हैं
पत्रकारिता का घटिया स्तर,भुगत रहा आवाम है.....
दो कौड़ी के भाव में जो करने  लगे गुलामी,
छोड़ के अपनी निष्पक्षता जो बोल रहा नेताओं की जुबानी....
किस पे आज यकीन करें,कौन यहां है सच्चा...??
न्यूज नहीं नौटंकी चलता,जानता है देश का बच्चा बच्चा....

©Suraj Thakur
  #Poetry #journalism