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इतनी बे–रुखी अच्छी नहीं अब मगरूर होना जरूरी है क्

इतनी बे–रुखी अच्छी नहीं 
अब मगरूर होना जरूरी है क्या,

 तुम्हारे इताब तो गैरों से भी ज्यादा है
 अब अपने हिस्से की जमीन आजाद कर दूं क्या।

©Mr.Singh ( Lyricist ) #shayari_wala
इतनी बे–रुखी अच्छी नहीं 
अब मगरूर होना जरूरी है क्या,

 तुम्हारे इताब तो गैरों से भी ज्यादा है
 अब अपने हिस्से की जमीन आजाद कर दूं क्या।

©Mr.Singh ( Lyricist ) #shayari_wala