मेरे चाहत की अफवाहें,हाँ फैली थीं हाँ फैली हैं, ज़माने की दिवारें, कब से बहरी थीं हाँ बहरी हैं, हक़ीक़त है असल मे क्या,सुनो अब जान ही लो तुम मैं जिसका था,मैं उसका हूं,जो मेरी थी,हाँ मेरी है. मेरे चाहत की अफवाहें,हाँ फैली थीं हाँ फैली हैं, ज़माने की दिवारें, कब से बहरी थीं हाँ बहरी हैं, हक़ीक़त है असल मे क्या,सुनो अब जान ही लो तुम मैं जिसका था,मैं उसका हूं,जो मेरी थी,हाँ मेरी है.