#OpenPoetry एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं वहां दास्तां रह गई लम्हा कहीं नहीं थोड़ा सा हंसा के थोड़ा सा रुला के पल ये भी जाने वाला है #गीता दत्त