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बचपन का होता हुआ व्यापार देखा... "आज एक सड़क किनार

 बचपन का होता हुआ व्यापार देखा...
"आज एक सड़क किनारे,
मैंने एक व्यापार देखा।
एक छोटी बच्ची के हाथों में,
झूठे बर्तन मांजने का कारोबार देखा।
और उन्हीं नन्ही हाथों की लकीरों से,
जूझता हुआ एक शख्सियत लाचार देखा।
जिसके कंधो पे होना चाहिए था,
 बचपन का होता हुआ व्यापार देखा...
"आज एक सड़क किनारे,
मैंने एक व्यापार देखा।
एक छोटी बच्ची के हाथों में,
झूठे बर्तन मांजने का कारोबार देखा।
और उन्हीं नन्ही हाथों की लकीरों से,
जूझता हुआ एक शख्सियत लाचार देखा।
जिसके कंधो पे होना चाहिए था,
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Bajrangautam

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