क्या तुम्हें याद है ये दिन का रात से शाम को मिलना और उसी वक्त तुम्हारा छत पर निकलना मुझे याद है वो दिन की गर्मी और शाम की ठंड का आपस में मिलना और ठीक उसी वक्त तेरे कप की गर्म चाय का और तेरे होठों की ठंडक का आपस में मिलना मुझे याद है क्या तुम्हे याद है kya tumhe yaad hai