मैं गरीब हूं वक्त दर वक्त बदल रहा है, सोया सा वक्त फिर चल रहा है, कभी खूब मिला मेरे सिरहाने, अब रेत जैसा फिसल रहा है, अब पल पल मैं राख के करीब हूं, वक्त बताता है कि मैं गरीब हूं। चहल पहल पहलू में छुपा हुआ था, गांठ दोहरी खुशियों पे मारा हुआ था, साख सुकून सब मेरे थैले में कैद था, उत्सुकता उत्साह बटोरने में मुस्तैद था, कल की किला अब मकबरों के करीब हूं, बीता कल बताता है कि मैं गरीब हूं। आलस की बात नही अब कोशिश क्या करूं, जो मेरे थे उनसे अपने होने की बात क्या करूं, ना मन में वो जोश बचा ना समझ में होश बाकी है, कहने को तो अभी मेरे सारे राज़ बाकी है, राजदारों की सत्ता में रसूख मरीज हूं, सच बताता है की मैं गरीब हूं। ना धन का लोभ है ना अपनों का मोह है, मेरे सोच की गति अभी दूर कई कोस है, प्रेम प्रसंग एक झूठा सच बन गया था, जिसमे जितना उलझा उतना गंद मच गया, जो कभी कारगर नहीं हुआ वो ही तरकीब हूं, बेतहाशा शोर कहता है मैं गरीब हूं। मैं गरीब हूं। #yqbaba #yqgareebi #yqdidi #yqhindi #yqquotes #yqkannada #yqlove #yqbhaskar