White मैं कभी रोने रुलाने को तैयार नहीं था। वो मेरा इश्क था मगर व्यापार नहीं था। वो बहुत चालाक और फरेबी निकला मैं बेवकूफ था मगर होशियार नहीं था। मैं पढ़ भी लेता अगर उनके चेहरे को। इश्क के दिनों में मगर इतवार नहीं था। कहानी के किरदार से निकाला गया। दिल दुखी था मैं मगर लाचार नहीं था। रूठे हुए फूल को मनाया मैंने भी जिया। फूल मगर रिश्ता निभाने को तैयार नहीं था। ©Zia Hasan #love_shayari akash shrivastav