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मुसाफिर एक सफर में हुँ मुसाफिरों की तरह मैंने हिज

मुसाफिर  एक सफर में हुँ मुसाफिरों की तरह
मैंने हिज्र काटी है सिरफिरों की तरह
कुछ बाते थी जो लबो तक आकर रुक गयी
वरना तुम भी भटकते बिल्कुल मेरी तरह
 एक परछाई का पीछा कर रहा था उम्र भर
तुमने तो एक उम्र गुजारी है काफिरो की तरह


विनीत कुमार मित्तल #विनीत#तुम्हरी यादे# झुटे तुम#####
मुसाफिर  एक सफर में हुँ मुसाफिरों की तरह
मैंने हिज्र काटी है सिरफिरों की तरह
कुछ बाते थी जो लबो तक आकर रुक गयी
वरना तुम भी भटकते बिल्कुल मेरी तरह
 एक परछाई का पीछा कर रहा था उम्र भर
तुमने तो एक उम्र गुजारी है काफिरो की तरह


विनीत कुमार मित्तल #विनीत#तुम्हरी यादे# झुटे तुम#####