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यूँ ही कभी ,कोई भटकी हुई कविता गाहे बगाहे मेरी उं

यूँ ही कभी ,कोई भटकी हुई कविता
गाहे बगाहे 
मेरी उंगलियों पर ठहर जाती है और मुझ से कहती है 
चलो बाते करें

चलो बाते करें 
भोर के रंग की ,सुबह की भंग की 
ताजी तरंग की, उजली उमंग की 
 
चलो बातें करें
गहरी रात की ,अनकही बात की 
उधूरे साथ की ,बेवजह मात की 

चलो बाते करें
हिज्र के रेलों की ,विस्ल के मेलों की 
किस्मत के खेलों की ,जोगी अकेलों की 

चलो बातें करें
अना के उफ़ान की ,अपनी असली पहचान की
मौसम की मुस्कान की , दुनिया जहान की

यूँ ही कभी ,कोई भटकी हुई कविता
गाहे बगाहे 
मेरी उंगलियों पर ठहर जाती है और मुझ से कहती है 
चलो बाते करें
यूँ ही कभी ,कोई भटकी हुई कविता
गाहे बगाहे 
मेरी उंगलियों पर ठहर जाती है और मुझ से कहती है 
चलो बाते करें

चलो बाते करें 
भोर के रंग की ,सुबह की भंग की 
ताजी तरंग की, उजली उमंग की 
 
चलो बातें करें
गहरी रात की ,अनकही बात की 
उधूरे साथ की ,बेवजह मात की 

चलो बाते करें
हिज्र के रेलों की ,विस्ल के मेलों की 
किस्मत के खेलों की ,जोगी अकेलों की 

चलो बातें करें
अना के उफ़ान की ,अपनी असली पहचान की
मौसम की मुस्कान की , दुनिया जहान की

यूँ ही कभी ,कोई भटकी हुई कविता
गाहे बगाहे 
मेरी उंगलियों पर ठहर जाती है और मुझ से कहती है 
चलो बाते करें
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