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घर की आग बुझाने आए, लोग जख़्म सहलाने आए, कामयाब

घर की आग बुझाने आए, 
लोग जख़्म सहलाने आए,

कामयाब  तरक़ीबें  लेकर, 
हर  गुत्थी  सुलझाने आए,

सहनशीलता की परिभाषा,
वाक्यसहित समझाने आए,

सर से पानी गुज़र गया अब, 
नया  ठौर   दिखलाने  आए,

दुविधा की  बेड़ी में  बँधकर, 
कितने  और   सयाने  आए,

बात  बिगड़ते  देख  स्वार्थी,
फिर से  मुझे  रिझाने  आए,

स्वर्ण केश हासिल हो कैसे?
'गुंजन' पास  खज़ाने  आए,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #घर की आग बुझाने आए#
घर की आग बुझाने आए, 
लोग जख़्म सहलाने आए,

कामयाब  तरक़ीबें  लेकर, 
हर  गुत्थी  सुलझाने आए,

सहनशीलता की परिभाषा,
वाक्यसहित समझाने आए,

सर से पानी गुज़र गया अब, 
नया  ठौर   दिखलाने  आए,

दुविधा की  बेड़ी में  बँधकर, 
कितने  और   सयाने  आए,

बात  बिगड़ते  देख  स्वार्थी,
फिर से  मुझे  रिझाने  आए,

स्वर्ण केश हासिल हो कैसे?
'गुंजन' पास  खज़ाने  आए,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #घर की आग बुझाने आए#