बेइंतहा चाहत है उनसे, की उकेरा है, हर एक लफ्ज़, कलम से कागज पर, आंख भर कर देखा है उन्होंने मिल गया मोहब्बत का नजराना अब ना कोई ख्वाहिश रही ना कोई अफसाना,,,,, शिकायतों की थी कब से मन में एक इमारत सी खड़ी उनके दो बोल प्रेम के,,वो चुटकियों में ढह गई,,,,,,, जेसै लौट आई हो मेरी खुशियां