कोई ये गलतफ़हमी में न रहे कि में फ़क़त नुम़ाइशी के लिए ही शेर-ओ-शायरियां लिखता हूं, यह तो कोशिश है मेरी आवाज़-ए-जुबां को अपने अंदाज़ से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को अवगत कराने की। कोई ये #गलतफ़हमी में न रहे कि में #फ़क़त #नुम़ाइशी के लिए ही शेर-ओ-शायरियां लिखता हूं, यह तो #कोशिश है मेरी #आवाज़_ए_जुबां को अपने अंदाज से #सम्पूर्ण #ब्रह्माण्ड को #अवगत कराने की। राही