तजुर्बा न था इसीलिए फस गए, शब्दो के जाल से घिर गए। नज़रों कि परख कमजोर थी, इसीलिए अंधेरे में फस गए। गर कर लिया होता इंतजार, अगली सुबह का तो, यूं रोशनी के लिए तरस न होती ...✍️ विनय पांडे #indianshyari #shayar #DesertWalk