मेरा क्या दोष...? चिल्लाकर मुझपर यूँही बेवजह अकड़ता है दिखाकर रूप भयावह जैसे हो ये सब उसके अधिकार में पर ज़रा भी नहीं मान का हकदार ये सोंचता है बस डराकर मुझे यूँ मिटा पायेगा मेरे मान की आबरू ऐसे जो कंपता है उसका चूर गुरूर जाने किस अभिमान में हुआ है क्रूर दोष किसे दूँ और दोस्त भी किसे कहूँ वजह क्या दूँ, मैं किससे क्या कहूँ किस्मत या वक़्त का खेल इसे समझूँ पता नहीं कब से वजह मैं हो गयी हूँ कोई बताता क्यों नहीं मैं दोषी कैसे हूँ ....? ©Deepali Singh मेरा क्या दोष...?