पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं ! अपने ही हाथों, अपनी खुशियों को आग लगा रहे हैं। लोगों के डर से खुद अपने आप से दूर होते जा रहें हैं। पता नहीं कहां चले जा रहे हैं। #पता_नहीं_कहां_चले_जा_रहे_हैं