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Part 2. complete poem in caption मैं चश्माधारी, त

Part 2. complete poem in caption

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

चश्मा यहां क्यों, ये कलम गिरी है
तुम्हारी जेब मे बीड़ी मिली है
तुम आड़ा तिरछा क्यों बैठे हो
गेस्ट आये हैं मुँह तो धो लो
कितनी कर्मठ तुम, मैं कर्महीन


मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मायके से कोई आ जाये तो
ऊपर से तो मीठा मीठा 
चुपके से पर ठूंस ठूंस कर 
कोटा चौगुना कर देते प्रिये
तुम निरी गाय, मैं ही कमीन


मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

अब आदत पड़ गयी है
जीवन वीरान से लगने लगता
जब नही होती तुम पास प्रिये
तब सब कर लेता हूँ एकदम परफेक्ट
कब क्या डांटोगी किस बात पर
मन मे रीप्ले कर देता मैं गिन गिन

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन Complete poem

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं
तुम सोंच परख लो बीन बीन
Part 2. complete poem in caption

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

चश्मा यहां क्यों, ये कलम गिरी है
तुम्हारी जेब मे बीड़ी मिली है
तुम आड़ा तिरछा क्यों बैठे हो
गेस्ट आये हैं मुँह तो धो लो
कितनी कर्मठ तुम, मैं कर्महीन


मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मायके से कोई आ जाये तो
ऊपर से तो मीठा मीठा 
चुपके से पर ठूंस ठूंस कर 
कोटा चौगुना कर देते प्रिये
तुम निरी गाय, मैं ही कमीन


मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

अब आदत पड़ गयी है
जीवन वीरान से लगने लगता
जब नही होती तुम पास प्रिये
तब सब कर लेता हूँ एकदम परफेक्ट
कब क्या डांटोगी किस बात पर
मन मे रीप्ले कर देता मैं गिन गिन

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन Complete poem

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं
तुम सोंच परख लो बीन बीन
jaisingh8835

Jai Singh

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