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ऐसे शोख़ जलवे बिखेरना यूँ ही मचल मचल के, हर नज़र

ऐसे शोख़ जलवे बिखेरना यूँ ही मचल मचल के, 
हर नज़र से नज़र मिलाना नज़रें बदल बदल के, 
माना ज़माना आपका ही है फिर भी ख़तरा तो है
हर क़दम पर आशिक़ हैं, चलना संभल संभल के!

©Shubhro K
  #10Sep2022
shubhrokdedas6046

Shubhro K

Silver Star
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#10Sep2022

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