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प्रवास में है सिसकियां !! अतीत के कंपन से....

प्रवास में है सिसकियां  !! 

अतीत के कंपन से.... 
दहल रहा दिल  । 

बवंडर..... 
बाहर-भीतर  । 

विस्मय..... 
इस अंतहीन तलाश की
अद्यतन हो.....
गूंज तुम ही  । 
तुम ही ...
मुस्कान की वजह  । 
पर..... 
हो एक पहेली प्यार की  । 

बयार उस पार से इस पार
संदेश जो लाती
फुसफुसाती..... 
दरम्यां रही वजहों, उम्र, सालों की
सब रेत उड़ा दो, 
अन्यथा .....
एक फूल दिल से
आसमां में देना उछाल  । 
और करना महसूस
उगते सूरज से डूबते सूरज के मध्य
किरणों की बिखरन-सिमटन में
जो रंग आ-जा रहे होंगे
हमारे दरम्यां रही 
वजहों, उम्र, सालों के होंगे  ।।
प्रवास में है सिसकियां  !! 

अतीत के कंपन से.... 
दहल रहा दिल  । 

बवंडर..... 
बाहर-भीतर  । 

विस्मय..... 
इस अंतहीन तलाश की
अद्यतन हो.....
गूंज तुम ही  । 
तुम ही ...
मुस्कान की वजह  । 
पर..... 
हो एक पहेली प्यार की  । 

बयार उस पार से इस पार
संदेश जो लाती
फुसफुसाती..... 
दरम्यां रही वजहों, उम्र, सालों की
सब रेत उड़ा दो, 
अन्यथा .....
एक फूल दिल से
आसमां में देना उछाल  । 
और करना महसूस
उगते सूरज से डूबते सूरज के मध्य
किरणों की बिखरन-सिमटन में
जो रंग आ-जा रहे होंगे
हमारे दरम्यां रही 
वजहों, उम्र, सालों के होंगे  ।।