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मेरे अंदर के प्रकाश से होता है उजाला, मैं "विष्णु"

मेरे अंदर के प्रकाश से होता है उजाला,
मैं "विष्णु" नहीं विषाक्त मन सूर्य हूं मैं..
चाहे कितना भी अंधेरा छा जाए मुझ पर,
मैं उसकी चादरे फाड़ कर बाहर निकल आता हूं इतना दृढ़ हूं मैं..
मैं "विष्णु" नहीं..!!

©विष्णु कांत
  #prakash