आदत मत बनाना मुझे तुम अपनी, जाने कब बदल जाये, लगने मत देना ख़ुद को ये लत भी जाने कब संभल जाये। दिल के दरवाज़े पर देंगी दस्तकें भी मेरी यादें कभी-कभी, तन्हा न छोड़ना दिल को, फँसकर जाने कब फ़िसल जाये। न उलझना,न उलझाना, हक़, हिस्से, ज़रूरी के हिसाब में, करना न मुसाफ़िर से इश्क़ भी, ये जाने कब निकल जाये। बड़ा ही मासूम दिल है तुम्हारा, यूँ ही आ जाता है बातों में, है मोम सा, दूर रखना मेरे साये से, जाने कब पिघल जाये। है नहीं कोई अपना, जिसपे हक़ से किया जाये इख़्तियार, करो हिफ़ाज़त,तुम्हारे लिये ये 'धुन' जाने कब मचल जाये। Rest Zone आज का शब्द - 'आदत' #rzmph #rzmph19 #restzone #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #poetry #आदत