तुम सब यादों में सिमट आए हो हम साथ के साथ है जुदाई की जुदाई है दिल है गुज़रे वक्त की तमन्ना करता है भरते हुए ज़ख्मों पे फिर से भार आई है केसे तदबीर से कागज़ पर चल रहा है यह कलम मेरा भूली हुई तस्वीर फिर से उभर आई है केसे बयान करू मैं तुम सबको किसी की मुस्कुराहट याद आई है किसी की बाते याद आई है। ईद मुबारक तुम सबको। ©Mohammad Rizwan Do not let the time to decide when you will rendezvous. #Love #SAD