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बूढ़ा तोता घोसले में बैठा बूढ़ा तोता, आज था

बूढ़ा तोता

घोसले में  बैठा  बूढ़ा  तोता, आज  था  जोर से भूखा।
जमाने बाद  इस बरस क्यूँ, ऐसा पड़  रहा  था  सूखा?
न   खाने  को एक भी  दाना था,  न   पीने  को  पानी।
न दिखता था कोई आस-पास में,  कर्ण -सा ही  दानी।

Read Full Poem in Caption #lifepoetry #itislife #respectoldpeople

बूढ़ा तोता

घोसले में  बैठा  बूढ़ा  तोता, आज  था  जोर से भूखा।
जमाने बाद  इस बरस क्यूँ, ऐसा पड़  रहा  था  सूखा?
न   खाने  को एक भी  दाना था,  न   पीने  को  पानी।
न दिखता था कोई आस-पास में,  कर्ण -सा ही  दानी।
बूढ़ा तोता

घोसले में  बैठा  बूढ़ा  तोता, आज  था  जोर से भूखा।
जमाने बाद  इस बरस क्यूँ, ऐसा पड़  रहा  था  सूखा?
न   खाने  को एक भी  दाना था,  न   पीने  को  पानी।
न दिखता था कोई आस-पास में,  कर्ण -सा ही  दानी।

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बूढ़ा तोता

घोसले में  बैठा  बूढ़ा  तोता, आज  था  जोर से भूखा।
जमाने बाद  इस बरस क्यूँ, ऐसा पड़  रहा  था  सूखा?
न   खाने  को एक भी  दाना था,  न   पीने  को  पानी।
न दिखता था कोई आस-पास में,  कर्ण -सा ही  दानी।