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"ध्वनि नहीं, टंकार हो युद्ध की ललकार हो हे कल्कि!

"ध्वनि नहीं, टंकार हो
युद्ध की ललकार हो
हे कल्कि! शारंग उठाओ
कली पर प्रहार हो...

रक्त की बयार हो
बली भी स्वीकार हो
हे कल्कि! शारंग उठाओ
धर्म का विस्तार हो

अवतार हर बार हो
इतना तो उपकार हो
हे कल्कि! शारंग उठाओ
भक्त ना लाचार हो"
#निवेदन

©सदैव
  #udaan