गंग शशि सर्प धर, कैलास के नगपति रूप की तुम्हारे शिव, उतार लूँ आरती । शांति सुख सदा रहें, नाश भय पीड़ा का हो गुण सत्य के आलोक, बनो तुम सारथी । काशी केदार और क्षिप्रा के तुम अधिपति आदि अनंत तुम्हें ये धरती पुकारती । हे त्रिलोकी उमा नाथ, आज है तुम्हारी रात आओ कुल साथ तो, शसक्त हो भारती । ✍️ माही (२१.०२.२०२०) #जय_महादेव