सीता इतनी पावनी, सो गंगा उनमें समाए. समाज के कुछ तुच्छ प्राणी, उनको भी नीच बताएं.. दोस्तों, मैं नारी के सम्मान लिए बस इतना कहना चाहता हूं, "कि नीच को नीच समझकर भूल जाओ क्योंकि कीचड़ कितना भी साफ हो जाए वह खुशबू नहीं दे सकता".. सच है मगर पड़वा है 15 (नारी सम्मान)