'प्रेम अनुबंध' पर एक गंभीर रचना फूल देकर दिल मांगते है जो, दिल को खिलौना मानते है जो, जो तोड़दे फूलों की पंखुड़ियाँ, प्रेम बंधन कहाँ जानते है वो! बहकी नज़रों से झांकते है जो, सनकी नयनों से ताकते है जो, जो रख ना पाये वश में अखियाँ, प्रीत अनुबंध कहाँ जानते है वो! जिस्म की बारीकियाँ जांचते है जो, जोखिम भरा ख्वाब पालते है जो, जो रौंददे रूह की नादानियाँ, प्रेम प्रसंग कहाँ जानते है वो! वादों वफाओं से कांपते है जो, नज़राना देकर मापते है जो, जो धोखा देकर करे शैतानियां, प्रेम बंधन कहाँ जानते है वो! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #Prem #Anubandh #kaviananddadhich #poetananddadhich #Hindi #kavitayen #Love