मेरी कब्र पर, यूँ तो ना उदास होकर आइए, ये जिद छोड़कर, एक बार तो मेरी कब्र को गले लगाइए, तुझे देखने के खातिर, हमने दफ़न हो जाना मुनासिब समझा, बस एक बार ये बुर्का,अपने चेहरे से तो हटाइए, #_अल्फ़ाज़_# #बुर्का