जिस प्रकार रेत की धूल पर हम कोई चित्र बनाते हैं ,और फिर हवा उसको मिटा देती है लेकिन जब कोई करीबी आपका आपके मन और मस्तिष्क पर कोई चित्र बनाकर चला जाता है ,,तो उसे वक़्त भी नहीं मिटा पता है,, और नासूर बनकर आपको बार बार चुभता रहता है।। # koi parwah nahi use..!