तुममें हम रहते हैं गुम बारिशें हो जाती हैं, और भी रंगीन.... जब भी प्रेम में सराबोर, होते हैं हम और तुम नहीं रहती हमारी, कोई भी चाह बाकी.... जब भी हमारे साथ, होते हो तुम सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "चाय, बारिश और तुम" बहुत ही ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए। 🌼आपके भाग लेने का समय आज रात्रि 12 बजे तक है,