हक़ दूजों का मार जो खाएं वे समृद्ध नहीं होते, जिनके घर अन्धे की लाठी वे जन वृध्द नहीं होते, रखो उड़ानें ऊँची पर उद्यम भी मन में भरा रहे, केवल गाल बजा देने से कारज सिद्ध नहीं होते। सौरभ राणा (K.P.) #MotivationalPoetry By Kavivar Saurabh Rana