एक नींद और किताब, बस इन्ही से मेरी कहानी है , मै किताब को और नींद मुझे, लगा के गले अक्सर , यू ही सो जाया करते थे, ये अब अभी की नही , बात थोड़ी पुरानी है, पर पता है क्या, कुछ बदल सा रहा है, मै, किताब और नींद तो वही है, पर अब कुछ अलग सा है, अब हम किताब से खफा , और नींद हमसे, क्या कहे ये नई रवानी है , कुछ खास नही, पर हाँ सब तुम्हारी मेहरबानी है... #ishq #or #kitab