किस राह पर जाऊं, प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं? मन की राह पर चल नही सकता उसमे भय है, दोष है कायरता साहस है कोसों दूर कैसे पास बुलाऊं प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं....। हर्ष की आकांक्षा तक सो गई है साहस और प्रेम से विरक्त सा हूं जिजीविषा की एका एक मृत्यू हो गई है इस एकाकी, अनंत अंधकार से कैसे बाहर आऊं प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं...। जहा तक देखता हूं बस तमस दिखता है मेरे अक्षम प्रणों का शव दिखता है आलस्य, असत्य और शोक दिखता है स्वयं से बढ़ता हुआ क्षोभ दिखता है इस कुंठा की अग्नि से कैसे बाहर आऊं प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं....। ©mautila registan #जीवन #प्रश्न #nojohindi #selfhate प्रश्न