Environment संसाधन मानव प्रयोग हेतु हैं, इनका दुरूपयोग प्रकृति ह्रास का कारण बनता जा रहा है |मानव विलासिता के उपभोग लोभ में अपने भविष्य को दांव पर लगा रहा है |आज हमें पर्यावरण दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? क्योंकि पृकृति इस मानव संपदा पर पलटवार कर रही है| पर्यावरण का दारुण परिदृश्य जो हमें देखने को मिल रहा है, यह मानव मूर्खता का परिणाम है| महामारी, ग्लेशियर का पिघलना, चक्रवात, भूस्खलन बाढ़, रेगिस्तान में भारी वर्षा होना यह असंतुलित पर्यावरण का परिणाम है| हर कोई पृकृति प्रदत्त पारिस्थितिकी तंत्र पर पूर्णतः निर्भर है, राष्ट्रीय संगठन द्वारा समय-समय पर कदम उठाये गये हैं, अत: हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने भविष्य को सहेजने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं जैसे-- # उपयोग से अधिक बिजली ना बर्बाद करना # समुचित पानी का उपयोग करना # पौधों को रोपित करना # लोगों को जागरूक करना हमें पर्यावरण संरक्षण हेतु यह सथक प्रयास उठाने होंगे ताकि वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के सततपोषणीय विकास हेतु उनकी आवश्यकताओं को सहेजा जा सके! स्मिता की कलम से... ©Smita Singh 5 june special