मंगलवार के संस्करण में प्रकाशित संपादकीय टिप्पणी अंदर में पाकिस्तान में भारत के 12 पड़ोसी की प्राकृतिक चरित्र का वास्तविक परीक्षण किया गया अपनी स्थापना के समय से ही पाकिस्तान का लोकतंत्र के साथ अनुभव अच्छा नहीं रहा है वास्तव में पाकिस्तान तंत्र में सर्वशक्तिमान सैन्य प्रतिष्ठान नहीं वह कभी लोकतंत्र कमजोर विपक्ष परिस्थितियों में ही नहीं होने दी अतीत से लेकर वर्तमान तक जैसे ही लोगों को लगा कि वह पलट रही है वैसे ही पाकिस्तान सेना उनकी जड़ों में मट्ठा डालने का काम करती है इसलिए पाकिस्तान को लेकर अक्सर कटाक्ष किया जाता है सभी देशों के पास अपनी सेना होती है लेकिन पाकिस्तान सेना के पास अपना एक देश है पाकिस्तान में लोकतंत्र की जो दुर्गति हुई है उसके लिए जितना भी जिम्मेदार है उतना ही होती है यह तो है कि सेना को अपना मोर बनाती है और जब तक उनके नेता सेना के हिसाब से चलते हैं तब तक कायम रहती है जैसा ही दोनों के हितों में टकराव होता है वैसे ही सेना विभिन्न मोर्चे से हाथों में संतोष को हवा देकर डीजल की सियासी जमीन खिसका देती है मौजूदगी में भी हितों का टकराव देना कि सत्ता में आती है वही सत्ता गंवाने के कारण पहुंचकर एक लोकतंत्र का राज है जब तक चलता रहेगा जब तक वहां लोकतंत्र स्थापित होने ©Ek villain #पाकिस्तान में लाचार लोकतंत्र #Love