ग़ज़ल --------- ग़म होता है जब कोई उनवान बदलता है ऐसा लगता है दिल का मेहमान बदलता है कसमों वादों जैसी कोई चीज़ नहीं होती हाल बदल जाये तो फिर पैमान बदलता है दावा पुख़्ता हो तो अड़ना अच्छा है पर वो अपनी बात मनाने को मीज़ान बदलता है सच्चा नग़मा काफ़ी था पहचान बनाने को झूठी ग़ज़लें कह कर क्यूँ पहचान बदलता है लफ़्ज़ नए हैं लेकिन सारी बात पुरानी है लाश वही है उसका कब्रस्तान बदलता ©UrbanFakeer Gautam Sharma Ghazal उनवान: title/manner of addressing people पैमान: agreement/treaty मीज़ान: balance #urbanfakeer #ghazal #shayari #shayri #poem #poetry #poetsofindia #sheroshayari