मैं जिस दिन कहँ दु उस से मिलने को। वो कॉल तक न उठाये मुझसे बात करने को।। अब और क्या खाविशे रुकू में अपनी जुस्तजू में। वो जो कहे कि हमी तो बेठे हैं समझने को।। बता तकदीर के कौनसे पन्ने पर लिखू। वो जो अब दिल चाहता हैं करने को।। सब अपनी वफादारी अपने रब से रखो। इंसानो मैं क्या रखा हैं अब मिलने को।। जुस्तजू-मन की सोच में ग