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मुझे ये दूनियादारी अच्छी नहीं लगती,मुझे रब से ज्य

मुझे ये दूनियादारी अच्छी नहीं लगती,मुझे
 रब से ज्यादा ये दुनिया अच्छी नहीं लगती//१

बुलंदी को छूते तेरे दर दरिचो की रंगीनियां अच्छी नहीं लगती
मुझे अपनो से मिली ये कतआ रहमीया अच्छी नहीं लगती//२
                       
जैसे गुल के बिना बगिया अच्छी नहीं लगती,
मुझे वीरान पड़ी ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती //३

चाहूं तो तेरा गिरेबान भी चाक कर सकती हूं
,मुझे दोगलो की ये तसल्लिया  अच्छी नहीं लगती//४ 
   
खुदा को भी सब याद करते है,मतलब पे यहां,
मुझे दुनिया की ये खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती//५

उन्हें कैसे मिलेगी माँ के कदमो तले जन्नत,जिन्हें
अपने घरों में ये बच्चियां अच्छी नहीं लगती//६ 

खुदाया जिस मुआश्रे में हो  दहेज का आम चलन,
मुझे इस मुआश्रे की ये पाबंदीया अच्छी नहीं लगती//७ 
    
शमा जब जईफ वालिदेन के  मौजूद हों पांच औलादे,खिदमत क
 नाम पे मुझे उनकी ये चालाकियां अच्छी नहीं लगती//८ 
शमीम अख्तर/शमा writes©✍️

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Saanse मुझे ये दूनियादारी अच्छी नहीं लगती,मुझे रब से ज्यादा ये दुनिया अच्छी नहीं लगती//बुलंदी को छूते तेरे दर दरिचो की रंगीनियां अच्छी नहीं लगती,मुझे अपनो से मिली ये कतआ रहमीया अच्छी नहीं लगती//२ जैसे गुल के बिना बगिया अच्छी नहीं लगती,मुझे वीरान पड़ी ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती //३
चाहूं तो तेरा गिरेबान भी चाक कर सकती हूं,मुझे दोगलो की ये तसल्लिया अच्छी नहीं लगती//४ खुदा को भी सब याद करते है,मतलब पे यहां,मुझे
दुनिया की ये खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती//५
उन्हें कैसे मिलेगी माँ के कदमो तले जन्नत,जिन्हें अपने घरों में ये बच्चियां अच्छी नहीं लगती//६ खुदाया जिस मुआश्रे में हो दहेज का आम चलन,मुझे इस मुआश्रे की ये पाबंदीया अच्छी नहीं लगती//७ 
शमा जब जईफ वालिदेन के मौजूद हों पांच औलादे,खिदमत के नाम पे मुझे उनकी ये चालाकियां अच्छी नहीं लगती//८ #shamawritesBebaak
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#Nojotonews Saad Ahmad ( سعد احمد ) Noor Hindustanai Satya Sethi Ji Anshu writer

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