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बिखरा पड़ा है लहू तिरंगे पे वह सुर्ख लाल रंग है शही

बिखरा पड़ा है लहू तिरंगे पे
वह सुर्ख लाल रंग है शहीदों के
कोई अनजाने में भी न सोच पायेगा
कितने थपेड़े झेले है बर्फीले तूफानों के।

बिखरी हुई है लाल स्याही बर्फ के शोलों पे
जकड़ा पड़ा है तन हिम के गोलों से
देखा ना था इतना भयावह तूफान कभी
लाशें तब्दील हो गई तुषार के टीलो में। #Siachen
#Glacier
#Soldier
बिखरा पड़ा है लहू तिरंगे पे
वह सुर्ख लाल रंग है शहीदों के
कोई अनजाने में भी न सोच पायेगा
कितने थपेड़े झेले है बर्फीले तूफानों के।

बिखरी हुई है लाल स्याही बर्फ के शोलों पे
जकड़ा पड़ा है तन हिम के गोलों से
देखा ना था इतना भयावह तूफान कभी
लाशें तब्दील हो गई तुषार के टीलो में। #Siachen
#Glacier
#Soldier